06. उपवन भूमि पूजा
(पूजा नं. 6) उपवन भूमि पूजा -अथ स्थापना-नरेन्द्र छंद- बल्लीवनी को वेढ़कर, परकोट सुंदर स्वर्ण का। चउ गोपुरों से युक्त उससे, बाद चौथी भूमिका।। उपवन धरा के चार दिश में, चैत्य द्रुम अति सोहने। उनके जिनेश्वर बिंब को, हम पूजते मन मोहने।।१।। ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरसमवसरणस्थितउपवनभूमिचतुर्दिक्चैत्यवृक्ष- संबंधिसर्वजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …