12. बड़ी जयमाला
बड़ी जयमाला (तर्ज-भक्तामर गीता…..।) श्री तीर्थंकर सिद्ध प्रभू को, नित प्रति शीश झुकाते हैं। सिद्ध सदृश हम सिद्धात्मा हैं, इसकी याद दिलाते हैं।। तीर्थंकर हों सिद्ध हुये, गणधर गुरु हों सिद्ध हुये। ऋद्धि सहित ऋषि सिद्ध हुये, सूरि उपाध्याय सिद्ध हुये।। द्विविध रत्नत्रय धारण कर, स्वात्म साधना में तत्पर। ये ही कर्म जलाते हैं, मुक्तिरमा…