30. सीता द्वारा रावण और लक्ष्मण को सम्बोधन
सीता द्वारा रावण और लक्ष्मण को सम्बोधन (२८०)सबके आगामी भव सुनकर,सीतेन्द्र हृदय था हरषाया।इक दिन रावण और लक्ष्मण से,मिलने को उनका मन आया।।चलदिये नरक में रावण को , संबोधन करने तब देखा।बोले अब तो लड़ना छोड़ो, इसने ही तुम्हें यहाँ भेजा।। (२८१)उनने पूछा हैं आप कौन ? और यहाँ किसलिए आए हैं ?अपना परिचय देकर…