17. राम द्वारा सीता का निष्कासन
राम द्वारा सीता का निष्कासन (१९८) कुछ दिन के बाद पुन: सीता की, दायीं आंख फड़कती है।अंतर्मन उनका घबड़ाया, और चिन्तातुर हो उठती है।।समझाया सभी रानियों ने, हे सखी! नहीं यूँ खेद करो।अब कुछ भी अशुभ नहीं होगा, नहिं मन में कोई भेद करो।। (१९९)फिर वही हुआ जो होनी को, मंजूर नहीं होना चहिए।सीता का…