केवलज्ञान के लिए प्रयुक्त विशेषण
केवलज्ञान के लिए प्रयुक्त विशेषण केवलज्ञान सभी ज्ञानों का चरमोत्कर्ष है। केवलज्ञान की प्राप्ति के बाद ही आत्मा सम्पूर्ण रूप से अनावृत्त होती है एवं स्वाभाव में रमण कर शुद्ध चैतन्य की अनुभूति करते हुए सिद्ध, बुद्ध, निरंजन, निराकार एवं निर्विकार अवस्था को प्राप्त करती है अर्थात् स्व—स्वरूप में स्थित होती है। प्राचीन काल में…