21. कुमुदादिद्वारपालानुकूलनं
कुमुदादिद्वारपालानुकूलनं दोहा पूर्वादि चउ द्वार की, विधिवत् रक्षा हेतु । कुमुद आदि सुर को जजूँ, निज पर मंगल हेतु ।। (तोरणों के पास आदि स्थानों में पुष्पांजलि क्षेपण करें ।) बहु धान्य अंकुरों से मंगल सुद्रव्य से । मंगल कलश से शोभे वर स्वस्तिकादि से ।। जिनयज्ञ में सुवर्णदण्ड हाथ में धरें । पूरब के…