परमार्थ प्रतिक्रमण अधिकार
परमार्थ प्रतिक्रमण अधिकार वंशस्थ– नमोऽस्तु ते संयमबोधमूर्तये, स्मरेभकुम्भस्थलभेदनाय वै। विनेयपंकेज-विकासभानवे, विराजते माधवसेनसूरये।।१०८।। अर्थ-संयम और ज्ञान की मूर्तिस्वरूप, कामदेवरूपी हाथी के गण्डस्थल को विदारण करने वाले और शिष्य रूपी कमलों को विकसित करने के लिए भास्कर स्वरूप, शोभायमान जो माधवसेन सूरि हैं उन्हें मेरा नमोस्तु होवे।।१०८।। बसंततिलका– भव्य: समस्तविषयाग्रहमुक्तचिन्त:। स्वद्रव्यपर्ययगुणात्मनि दत्तचित्त:। मुक्त्वा विभावमखिलं निजभावभिन्नं प्राप्नोति मुक्तिमचिरादिति…