ऋषिमंडल पूजा विधान चौबीस तीर्थंकर पूजा
ऋषिमंडल पूजा विधान चौबीस तीर्थंकर पूजा शंभु छंद जिन प्रभु ने निजकर्मारि जीत, वैवल्यसूर्य को प्रकट किया। जग में भ्रमते सब जीवों को, दिव्य ध्वनि से संबोध दिया।। फिर सादी हो भी अंतरहित, अक्षय निर्वाण धाम पाया। उन ऋषभ आदि वीरांत जिनेश्वर, को मैं अब यजने आया।।१।। ॐ ह्रीं ऋषभादि वर्धमानान्तास्तीर्थंकर परमदेवाः! अत्र अवतरत अवतरत…