32. विद्युन्मालीमेरु के चौंतीस विजयार्ध जिनालय पूजा
(पूजा नं.32) विद्युन्मालीमेरु के चौंतीस विजयार्ध जिनालय पूजा —अथ स्थापना—दोहा— पश्चिम पुष्कर द्वीप में, पूर्व अपर सुविदेह। दक्षिण-उत्तर में भरत-ऐरावत वर नेह।। बत्तिस क्षेत्र विदेह औ, भरतैरावत जान। चौंतिस रूपाचल विषे, जिनगृह पूजूँ आन।।१।। ॐ ह्रीं श्रीविद्युन्मालीमेरसंबंधिचतुिंस्त्रशत्विजयार्धपर्वतस्थितसिद्धकूट-जिनालयस्थसर्वजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीविद्युन्मालीमेरसंबंधिचतुिंस्त्रशत्विजयार्धपर्वतस्थितसिद्धकूट-जिनालयस्थसर्वजिनबिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनम्। ॐ ह्रीं श्रीविद्युन्मालीमेरसंबंधिचतुिंस्त्रशत्विजयार्धपर्वतस्थितसिद्धकूट-जिनालयस्थसर्वजिनबिम्बसमूह! अत्र मम…