34. विद्युन्मालीमेरु संबंधि इष्वाकार जिनालय पूजा
(पूजा नं.34) विद्युन्मालीमेरु संबंधि इष्वाकार जिनालय पूजा —अथ स्थापना—नरेन्द्र छन्द— पुष्करार्ध में दक्षिण-उत्तर, इष्वाकार गिरी हैं। कनकवर्णमय शाश्वत अनुपम, धारें अतुलसिरी हैं।। इन दोनों पे दो जिनमंदिर, पूजत पाप पलानो। आह्वानन कर जिनप्रतिमा का, विधिवत् पूजन ठानो।।१।। ॐ ह्रीं श्रीविद्युन्मालीमेरसंबंधिदक्षिणोत्तरइष्वाकारपर्वतसिद्धकूटजिना-लयस्थजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीविद्युन्मालीमेरसंबंधिदक्षिणोत्तरइष्वाकारपर्वतसिद्धकूटजिना-लयस्थजिनबिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनम्। ॐ ह्रीं…