14. राम—सीता का मिलन
राम—सीता का मिलन (१६६)इस ओर लखन के संग राम, लंकानगरी की ओर चले ।निजप्रिया मिलन की उत्वंठा से, उनके दृग हर्ष विभोर भये।।उस ओर आकुलित सीता भी, प्रिय के स्वागत के लिये बढ़ी।दोनों कर जोड़ विनयपूर्वक, श्री राम निकट आ हुई खड़ी।। (१६७)सहसा सूरज हो गया गोल, नभ के बादल में बदल उठे।रघुवर का आलिंगन…