13. विजयमेरु संबंधी चौंतीस विजयार्ध जिनालय पूजा
(पूजा नं.13) विजयमेरु संबंधी चौंतीस विजयार्ध जिनालय पूजा —अथ स्थापना—जोगीरासा छंद— विजयमेरु के पूर्व अपर में, बत्तिस क्षेत्र विदेहा। तिनके मध्य रजतगिरि सोहें, तिनपे श्रीजिनगेहा।। भरतैरावत में जिनगृहयुत, रजत गिरी सरधाना। चौंतिस रजताचल जिनप्रतिमा, मैं थापूँ इह थाना।।१।। ॐ ह्रीं श्रीविजयमेरसंबंधिचतुिंस्त्रशत्विजयार्धपर्वतस्थितसिद्धकूट-जिनालयस्थसर्वजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीविजयमेरसंबंधिचतुिंस्त्रशत्विजयार्धपर्वतस्थितसिद्धकूट-जिनालयस्थसर्वजिनबिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनम्। ॐ…