भूमिका
भूमिका प्रस्तुति—श्रीमती त्रिशला जैन, लखनऊ (१) श्री मुनिसुव्रत तीर्थंकर के, युग की ये अमर कहानी है। बलभद्र रामप्रभु की गाथा, सुनिये ये बहुत पुरानी है।। विद्यागुरु ‘‘ज्ञानमती मां’’ का, मन में पहले स्मरण करूँ । चौबिस जिन का वंदन करके, श्री राम प्रभू को नमन करूँ।। (२) है आज दु:ख क्या नारी को, दुख तो…