12. रावण द्वारा बहुरूपिणी विद्या की सिद्धि
रावण द्वारा बहुरूपिणी विद्या की सिद्धि (१३५)आया न रास यह रावण को, शत्रू के घर खुशियाँ खेले।भेजा दूतों को रामनिकट, प्रस्ताव दिये थे अलवेले।।भाई और पुत्रों के संग में, सीता देना स्वीकार करो।लंका का आधा राज्य तुम्हें, दे दूँगा अंगीकार करो।। (१३६)श्री रामचंद्र तब ये बोले, जाकर रावण से कह देना।भाई और पुत्र सभी ले…