श्री सीमंधर तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति
श्री सीमंधर तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति श्रीमती मात स्वप्ने देखें, श्रेयांस नृपति से फल पूछें। तीर्थंकर सुत जननी होंगी, सुन माता मन में अति हर्षें।। इन्द्रों ने उत्सव किया विविध, धनपति ने रत्नवृष्टि की थी। हम वंदें गर्भकल्याणक नित,जिससे होवे धन की वृष्टी।।१।। सीमंधर प्रभु ने जन्म लिया, स्वर्गों में बाजे बाज उठे। सुरपति के सिंहासन…