03. श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा
पूजा नं. 2 श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा अथ स्थापना—शंभु छंद (तर्ज—यह नंदनवन….) श्री पार्श्व प्रभू, त्रिभुवन के विभू, हम पूजा करने आये हैं। निज आत्म सुधारस मिल जावे, यह आशा लेकर आये हैं।।टेक।। आह्वानन संस्थापन करके, सन्निधीकरण विधि करते हैं। निज हृदय कमल में धारण कर, अज्ञान तिमिर को हरते हैं।। कमठारिजयी प्रभु क्षमाशील, की अर्चा…