12. चतुर्निकाय देव
चतुर्णिकाय देव त्रिशला-माताजी! आज शास्त्र में पढ़ा है कि चतुर्निकाय के देव भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं, वे कौन हैं और कहाँ रहते हैं? आर्यिका-पुण्यरूप देवगति नामकर्म के उदय से जो देवपर्याय को प्राप्त करते हैं उन्हें देव कहते हैं। इनके चार भेद हैं-भवनवासी, व्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक। पहली रत्नप्रभा पृथ्वी के तीन…