02. सुदर्शन मेरु पूजा
सुदर्शन मेरु पूजा अथ स्थापना-शंभु छंद त्रिभुवन के बीचों बीच कहा, सबसे ऊँचा मंदर पर्वत। सोलह चैत्यालय हैं इस पर, अकृत्रिम अनुपम अतिशययुत।। निज समता रस के आस्वादी, ऋषिगण जहाँ विचरण करते हैं। तीर्थंकर के अभिषव होते, उस गिरि की पूजा करते हैं।।१।। ॐ ह्रीं सुदर्शनमेरुसंबंधि-षोडशचैत्यालयस्थ-सर्वजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …