02.45 पूजा नं.-45 पश्चिम धातकीखंड विहरमाण तीर्थंकर पूजा
पूजा नं.-45 पश्चिम धातकीखंड विहरमाण तीर्थंकर पूजा अथ स्थापना-गीता छंद पश्चिम सुधातकि खंड में वर पूर्व अपर विदेह हैं। उनमें सदा विहरें जिनेश्वर चार अनुपमदेह हैं।। ये सूरिप्रभ व विशालकीर्ती वङ्काधर चंद्रानना। आह्वानन कर पूजूँ इन्हें होवे निजात्म प्रभावना।।१।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखंडद्वीपसंबंधिपूर्वापरविदेहक्षेत्रस्थितश्रीसूरिप्रभविशालकीर्ति-वङ्काधरचंद्रानननामचतुा\वशतितीर्थंकर समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखंडद्वीपसंबंधिपूर्वापरविदेहक्षेत्रस्थितश्रीसूरिप्रभविशालकीर्ति-वङ्काधरचंद्रानननामचतुा\वशतितीर्थंकर समूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ:…