श्री संजातक तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति
श्री संजातक तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति —नरेंद्र छंद— पूर्व धातकी विदेह पूरब, सीतानदि उत्तर पे। अलकापुरि में देवसेन पितु, मातु देवसेना के।। गर्भ बसे श्री संजातक प्रभु, सुरपति सुरगण नमते। पुनर्जन्म के नाश हेतु हम, गर्भकल्याणक वंदें।।१।। श्री आदि देवियों पूजित माँ से, जन्म लिया तीर्थेश्वर। सुरपति जिन बालक को लेकर, बैठे ऐरावत पर।। सुरगिरि पहुँचे…