07. जिनधर्म पूजा
(पूजा नं.-7) जिनधर्म पूजा -अथ स्थापना-गीताछंद- उत्तम क्षमादी धर्म हैं, औ दया धर्म प्रधान है। वस्तू स्वभाव सु धर्म है, औ रत्नत्रय गुणखान है।। जो जीव को ले जाके धरता सर्व उत्तम सौख्य में। वह धर्म है जिनराज भाषित पूजहूँ तिंहुकाल मैं।।१।। -दोहा- भरतैरावत क्षेत्र में, चौथे पांचवे काल। शाश्वत रहे विदेह में, धर्म जगत्…