12.2 निश्चयनय व्यवहार के द्वारा ही कथनीय है !12
निश्चयनय व्यवहार के द्वारा ही कथनीय है ! निश्चय और व्यवहार इन दो नयों के द्वारा जिनागम में आत्मतत्व का वर्णन किया गया है। निश्चयनय से आत्मतत्व का अनुभव होता है न कि कथन, उसके कथन हेतु तो व्यवहार नय का ही आश्रय लेना पड़ता है। जैसे कि आचार्य श्री कुन्दकुन्द स्वामी ने समयसार रूपी…