09. रस ऋद्धि पूजा
पूजा नं.-9 रस ऋद्धि पूजा —अथ स्थापना (चौबोल छंद)— जिन मुनियों ने नाना विध रस, परित्याग तपधारा है। उनके ही रस ऋद्धी प्रगटती, गुरु ने यही उचारा है।। विष भी अमृत करने वाले, ऐसे गुरु को नित्य जजूँ। आह्वानन स्थापन करके, परमानंद पियूष भजूँ।।१।। ॐ ह्रीं षड्विधरसऋद्धिसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं षड्विधरसऋद्धिसमूह!…