04. केवलज्ञानकल्याणक पूजा
पूजा नं.-4 केवलज्ञानकल्याणक पूजा -स्थापना-शंभु छंद- रत्नों के खंभों पर सुस्थित, मुक्तामालाओं से सुंदर। श्रीमंडपभूमी के आगे त्रयकटनी हैं दिखती मनहर।। सबसे ऊपर है गंधकुटी, कमलासन पर जिनवर शोभें। हम उनका इत आह्वानन कर, पूजत ही भवदुख से छूटें।।१।। ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरकेवलज्ञानकल्याणकसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आहृवाननं। ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरकेवलज्ञानकल्याणकसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:…