5. निमित्त-उपादान
निमित्त-उपादान बाह्याभ्यन्तरहेतुभ्यां, प्रपद्यात्मानमात्मनि। स्वोपादानबलेनैव, ह्यात्मा शुद्धो भवेन्नमम्।।१।। बाह्य और अभ्यंतर निमित्तों से आत्मा को प्राप्त करके अपने उपादान के बल से ही मेरी आत्मा शुद्ध होवे। वर्तमान में मोक्षमार्ग की चर्चा के संदर्भ में यह ‘निमित्त’ भी कुछ लोगों के लिए विवाद का विषय बन गया है। वास्तव में निमित्त, हेतु, साधन और कारण ये…