19. पूर्वपुष्करार्ध पर्वत जिनालय पूजा
पूजा नं.-18 पूर्वपुष्करार्ध पर्वत जिनालय पूजा अथ स्थापना-नरेन्द्र छंद पूरब पुष्कर अर्धद्वीप में, छह कुल पर्वत सोहें। चार कहे गजदंत अकृत्रिम, सुरकिन्नर मन मोहें।। सोलह गिरि वक्षार सुवर्णिम, चौंतिस रजताचल हैं। इन पर्वत के साठ जिनालय, पूजत सुख अविचल हैं।। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधिकुलाचलगजदंतवक्षारविजयार्धपर्वतस्थितषष्टि- सिद्धकूटजिनालयजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधिकुलाचलगजदंतवक्षारविजयार्धपर्वतस्थितषष्टि- सिद्धकूटजिनालयजिनबिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ…