श्री नमिनाथ चालीसा
श्री नमिनाथ चालीसा -दोहा- तीर्थंकर नमिनाथ हैं, इक्किसवें तीर्थेश। इनके चरणों में नमूँ, श्रद्धा-भक्ति समेत।।१।। -चौपाई- नमि जिनवर हैं दया के सागर, वंदन से हो ज्ञान उजागर।।१।। इन प्रभु की महिमा अति न्यारी, दर्शन से नशते अघ भारी।।२।। प्रभु तुम तीनलोक के स्वामी, कहलाते हो अन्तर्यामी।।३।। फिर भी तुममें मान नहीं है, पदवी का अभिमान…