श्री मल्लिनाथ चालीसा
श्री मल्लिनाथ चालीसा -दोहा- शान्ति-कुंथु-अरनाथ को, वंदन शत-शत बार। पुन: मल्लिजिनराज के, चरणनि करूँ प्रणाम।।१।। काम-मोह-यममल्ल के, जेता आप प्रसिद्ध। इसीलिए तुम चरण में, नमस्कार है नित्य।।२।। -चौपाई- जय प्रभु मल्लिनाथ की जय हो, मेरे दुष्कर्मों का क्षय हो।।१।। भरतक्षेत्र में बंग देश है, उसमें इक मिथिलानगरी है।।२।। वहाँ कुंभ नामक महाराजा, महाभाग्यशाली थे राजा।।३।।…