02. जीवसमास प्रकरण
जीवसमास प्रकरण जीव समास का लक्षण जेहिं अणेया जीवा, णज्जंते बहुविहा वि तज्जादी। ते पुण संगहिदत्था, जीवसमासा त्ति विण्णेया।।२७।। यैरनेके जीवा नयन्ते, बहुविधा अपि तज्जातय:। ते पुन: संगृहीतार्था, जीवसमासा इति विज्ञेया:।।२७।। अर्थ—जिनके द्वारा अनेक जीव तथा उनकी अनेक प्रकार की जाति जानी जाएँ, उन धर्मों को अनेक पदार्थों का संग्रह करने वाले होने से जीवसमास…