10.(3.11) सर्वज्ञ के ज्ञान का माहात्म्य
सर्वज्ञ के ज्ञान का माहात्म्य अमृतवर्षिणी टीका— जो आत्मा भेदाभेदरत्नत्रय को प्राप्त करके शुद्धोपयोग के बल से घाति कर्मों को नष्ट कर देता है। वह आत्मा अनंतवीर्य तथा केवलज्ञान और केवलदर्शनरूप तेजोमय हो जाता है पुन: उस केवलज्ञानी भगवान के शरीर संबंधी इंद्रियजन्य सुख और दु:ख नहीं रहता है प्रत्युत उसका ज्ञान और सुख अतीन्द्रिय…