03. जैन विवाह विधि
जैन विवाह विधि विवाह और उसका उद्देश्य शास्त्र की विधि के अनुसार योग्य उम्र के वर और कन्या का अपनी-अपनी जाति में क्रमश: वाग्दान (सगाई) प्रदान, वरण, पाणिग्रहण होकर अन्त में सप्तपदीपूर्वक विवाह होता है। यह विवाह धर्म की परम्परा को चलाने के लिए, सदाचरण और पुत्र-पुत्री द्वारा कुल की उन्नति के लिए और मन…