भगवान श्री संभवनाथ की आरती
भगवान श्री संभवनाथ की आरती -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती तर्ज—मैं तो आरती उतारूं रे…….. मैं तो आरती उतारूं रे, सम्भव जिनेश्वर की, जय जय जिनेन्द्र प्रभु, जय जय जय-२।।टेक.।। इस युग के तृतीय प्रभू, तुम्हीं तो कहलाए, तुम्हीं…… पिता दृढ़रथ सुषेणा मात, पा तुम्हें हरषाए, पा……… श्रावस्ती धन्य-धन्य, इन्द्रगण प्रसन्नमन, उत्सव मनाएं रे हो जन्म उत्सव…