37. मुनिमुद्रा सदा पूज्य है
जो मुनि दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तपोविनय में सदा लीन रहते हैं वे ही वंदनीय हैं।
मुनि के पांच भेद होते है पुलाक ,वकुश ,कुशील ,निर्ग्रन्थ ,स्नातक |
ये मुनि सदा स्वाध्याय,ध्यान ,अघ्ययन आदि में निमग्न रहते है और अपने 28 कायोत्सर्गों का सदा पालन करते है