04.2 वास्तु नियमानुसार भवन निर्माण की रूपरेखा
वास्तु नियमानुसार भवन निर्माण की रूपरेखा भूमि के चयन में दिशा का महत्त्व ‘‘दिशा बदलते ही दशा बदलती है’’—यह कथन कई दृष्टियों से सार्थक है। वास्तु-विद्या में भी दिशा या डायरेक्शन का बड़ा महत्त्व है। दिशाओं और उनके अधिष्ठाता देवों के नाम स्वस्तिकाकार दिशा-सूचक यंत्र में द्रष्टव्य हैं। अधिष्ठाता का मतलब है—व्यावहारिक प्रधान; जो आज…