गुरुवंदना कब और कैसे?
गुरुवंदना कब और कैसे?…. वंद्या दिनादौ गुर्वाद्या विधिवत् विहितक्रियैः, मध्यान्हे स्तुतिदेवैश्च सायं कृतप्रतिक्रमैः।।५४।। (अनगार ध.अ. ८) प्रातः सामायिक के बाद विधिवत् कृतिकर्म करके आचार्य आदि की वंदना करें। मध्यान्ह में भी सामायिक के बाद कृतिकर्मपूर्वक गुरुओं की वंदना करें और सायंकाल में दैवसिक प्रतिक्रमण के बाद विधिवत् गुरुवंदना करें। लघ्व्या सिद्धगणिस्तुत्या गणी वंद्यो गवासनात् ।…