02.2 सृष्टि का क्रम एवं षट्काल परिवर्तन
सृष्टि का क्रम एवं षट्काल परिवर्तन जैन वाङ्मय अनादिनिधन है। युग परिवर्तन की अपेक्षा से यह सादि-सनिधन भी माना जाता है। ‘कर्मारातीन् जयतीति जिनः’ इस व्युत्पत्ति के अनुसार जो कर्म शत्रुओं को जीतने वाले हैं वे ‘जिन’ कहलाते हैं। इन्हें ही जिनदेव, जिनेन्द्र भगवान, जिनराज आदि सहस्रों नामों से पुकारा जाता है। इनके द्वारा बताया…