18. पश्चिम धातकीखण्ड ऐरावतक्षेत्र भावि तीर्थंकर स्तोत्र
(चौबीसी नं. १८) पश्चिम धातकीखण्ड ऐरावतक्षेत्र भावि तीर्थंकर स्तोत्र नरेन्द्र छंद अपर धातकी ऐरावत में तीर्थंकर होवेंगे। धर्मतीर्थ का वर्तन करके निजपर मल धोवेंगे।। गणधर मुनिगण सुरपति नरपति उनकी भक्ति करे हैं। हम भी उनको भक्तिभाव से वंदें भक्ति करे हैं।।१।। अडिल्ल छंद श्री ‘रवीन्दु’ जिनराज त्रिजग के सूर्य हैं। भवि के शिवपथ हेतु धर्मरथ…