05.1 दर्शनाचार, ज्ञानाचार
दर्शनाचार, ज्ञानाचार १.१ आचार जैनधर्म का मेरुदण्ड- श्रमण संस्कृति के प्रतिनिधि जैनधर्म का मेरुदण्ड उसका ‘आचार’ है। जिस प्रकार मेरुदण्ड मानवीय देह-यष्टि को पुष्ट एवं सुव्यवस्थित बनाने में सर्वथा कृतकार्य है, उसी प्रकार ‘आचार’ जैन धर्म को पुष्ट एवं सुप्रतिष्ठित करने में सर्वतोभावेन समर्थ है। सामाजिक तथा व्यावहारिक परिवेश के अतिरिक्त अपने वास्तिविक रूप में…