गति मार्गणा मार्गणा का अर्थ खोजना या अन्वेषण करना है। जिन भावों के द्वारा जीव खोजे जाते हैं या जिन पर्यायों में जीव खोजे जाते हैं, उन्हें मार्गणा कहते हैं। ये मार्गणा गति, इन्द्रिय, काय, योग, वेद, कषाय, ज्ञान, संयम, दर्शन, लेश्या, भव्यत्व, सम्यक्त्व, संज्ञित्व और आहारक मार्गणा ये भेद रूप १४ प्रकार की होती…
जीव- समास, पर्याप्ति, प्राण, संज्ञा २.१ जीव-समास (Taxonomy, Classifications of The Living-beings )- अनन्तानन्त जीव व उनके भेद-प्रभेदों का जिसमें संग्रह किया जाए उन्हें जीव-समास कहते हैं। समस्त जीवों को संक्षेप में बताने की विधि ही जीव-समास है। इन्द्रियों के आधार पर जीव पांच प्रकार के होते हैं। एकेन्द्रिय जीव सूक्ष्म व बादर दो प्रकार…
गुणस्थान जिन विषयों का आश्रय लेकर जीव द्रव्य का प्ररूपण किया जाता हैं, वे प्ररूपणा कहलाती हैं। गुणस्थान, जीवसमास, पर्याप्ति, प्राण, संज्ञा, चौदह मार्गणा और उपयोग इस प्रकार ये बीस प्ररूपणा पूर्वाचार्यों ने कही हैं। इनमें से सर्वप्रथम गुणस्थान का विवेचन किया जा रहा है- १.१ गुणस्थान का अर्थ (Gunsthanas-Stages of Spiritual Development)- गुण का…