03.5 पुरुषार्थ ही भाग्य का निर्माता
पुरुषार्थ ही भाग्य का निर्माता अच्छा भाग्य हमारे अच्छे पुरुषार्थ का ही फल है, अत: हमें सदैव अच्छा पुरुषार्थ ही करते रहना चाहिए। परन्तु हम भाग्य के भरोसे ही नहीं बैठे रहें। यदि हमारा भाग्य अच्छा है, तो हमें उसका अच्छा फल अवश्य ही मिलेगा। परन्तु यदि हमारा भाग्य अच्छा नहीं है, तो भी हमें...