ध्वज गीत तर्ज-फूलो सा……. केशरिया झण्डा मेरा, जिनमत की पहचान है। साथिया निशान है, जैनियों की शान है, उत्सव का सम्मान है।।टेक.।। जिनवर के मंदिर शाश्वत बने जो, उन सबपे भी ध्वज लहराते हैं। रत्नों से निर्मित फिर भी हवा के, चलने से वे ध्वज लहराते हैं।। देव जहाँ जाते, कीर्ति प्रभु की…
जैन हर्बल्स कम्पनी-मुम्बई द्वारा उत्पादित अहिंसक प्रसाधन सामग्री प्रस्तुति – आर्यिका चंदनामती माताजी अहिंसक पदार्थों की शृंखला में एक अन्य नाम है ‘वनौषधियों’ का, जिनका उत्पादन डॉ. उर्जिता जैन (एम.डी.)-मुम्बई द्वारा संचालित ‘वनौषधि केन्द्रों’ में किया जा रहा है। स्वास्थ्य एवं सौंदर्य के क्षेत्र में पूर्णतया वनस्पति आधारित इन अहिंसक पदार्थों की लिस्ट यहाँ प्रस्तुत…
”गर्भपात-माँ की ममता पर कुठाराघात” प्रस्तुति – आर्यिका चंदनामती जहाँ जैन एवं वैदिक शास्त्रों में सौभाग्यवती पतिव्रता नारी तथा कुमारी कन्याओं को महान् पवित्रता तथा व्यवहारिक मंगल का प्रतीक माना गया है, वहीं वैदिक पुराणों में भी नारी को देवी के रूप में स्वीकार किया गया है। मनुस्मृति में तो यहाँ तक कह दिया…
अहिंसक बनने के लिए कम से कम इतना अवश्य करें! चमड़े की वस्तुओं का उपयोग न करें। हाथी दाँत से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल न करें। नहाने-धोने में उन साबुनों का उपयोग करें, जिनमें चर्बी न हो। रसोई तथा मंदिरों में पानी छानने हेतु एवं अन्य कार्यों में खादी का कपड़ा काम में लें, क्योंकि…
क्षेत्रपाल पूजा क्षेत्रपालाय यज्ञेऽस्मिन्नेतत्क्षेत्राधिरक्षणे। बलिं दिशामि दिग्यम्नेर्वेद्यां विघ्नविघातिने।।१।। ॐ आं क्रों ह्रीं अत्रस्थ क्षेत्रपाल! आगच्छ आगच्छ संवौषट्! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः । अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् इति पुष्पाञ्जलिः। क्षेत्रपाल का तेल से अभिषेकः- सद्यस्केन सुगंधेन स्वच्छेन बलहेन च। स्न पनं क्षेत्रपालस्य तैलेन प्रकरोम्यहं।।२।। ॐ ह्रीं तैलेन…
वंदे सुरतिरीटाग्रमणिच्छाया….! ‘वन्दे सुरतिरीटाग्रमणिच्छायाभिषेचनम्। या: क्रमेणैव सेवन्ते तदर्चा: सिद्धिलब्धये।।२१।। अमृतर्विषणी टीका— अर्थ- जो देवों के मुकुट के अग्र भाग में लगी हुई मणियों की कान्ति से अभिषेक को चरणों द्वारा सेवन करती हैं अर्थात् जिनके चरणों में वैमानिक देव सिर झुकाते हैं उन वैमानिक देवों के विमान संबंधी प्रतिमाओं को मुक्ति की प्राप्ति के लिये…
‘‘ज्योतिषामथ लोकस्य भूतयेऽद्भुतसम्पद:। गृहा: स्वयंभुव: सन्ति विमानेषु नमामि तान्।।२०।।’’ अमृतर्विषणी टीका— अर्थ- अनन्तर ज्योतिषी देवों के विमानों में अद्भुत सम्पत्तिधारी अर्हंतों के जो शाश्वत गृह हैं उनको मैं विभूति के निमित्त नमस्कार करता हूँ ।।२०।। ज्योतिर्वासी देव ज्योतिष्क देवों के पाँच भेद हैं-सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र और तारे। इनके विमान चमकीले होने से इन्हें ज्योतिष्क…