14. रत्नत्रय
रत्नत्रय सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र को रत्नत्रय कहते हैं। इन तीनों की एकता ही मोक्षमार्ग है। इसके दो भेद हैं- (१) व्यवहार रत्नत्रय (२) निश्चय रत्नत्रय व्यवहार सम्यग्दर्शन जीवादि तत्त्वों का और सच्चे देव, शास्त्र, गुरु का २५ दोष रहित श्रद्धान करना व्यवहार सम्यग्दर्शन है। (इसका विस्तृत वर्णन तीसरे भाग में आ चुका है।) व्यवहार…