शुद्धात्म दर्शन प्रक्रिया
शुद्धात्म दर्शन प्रक्रिया श्री पद्मनन्दिपंचिंवशतिका ग्रन्थ में आचार्यश्री पद्मनन्दि देव ने शुद्धात्म दर्शन की प्रक्रिया को बताते हुए अनेक अधिकारों के माध्यम से बताया है कि— शार्दूलविक्रीडित छन्द— दुर्लक्ष्येपि चिदात्मनि श्रुतवलात्किंचितस्वसंवेदनात्, ब्रूमः िंकचिदिह प्रबोधनिधिभिर्ग्राह्यं न किञ्चिच्छलम्। मोहे राजनि कर्मणाम तितरां प्रौढेन्तराये रिपौ, दृग्बोधावरणद्वये सति मतिस्तादृककुतो मादृशाम्।। अर्थात् जिस प्रकार अमूर्तिक होने के कारण…