त्रैलोक्य वंदना
“त्रैलोक्य वंदना“ “नरेन्द्र छंद (परमपरंज्योति)“ जय जय तीर्थंकर त्रिभुवन के चूड़ामणि जिनस्वामी। जय जय जिनवर केवलज्ञानी त्रिभुवन अंतर्यामी।। जय जय चिंतामणि जिनप्रतिमा मनचिंतित फल देतीं। जय जय जिनमंदिर शाश्वत उन भक्ती शिव फल देती।।१।। जय जय भवनवासि के जिनगृह अधोलोक में शोभें। जय जय सात करोड़ बहत्तर लाख भविक मन लोभें।। जय जय असुर कुमार…