12. पूर्व धातकीखण्डद्वीप ऐरावतक्षेत्र भविष्यत् तीर्थंकर स्तोत्र
(चौबीसी नं. १२) पूर्व धातकीखण्डद्वीप ऐरावतक्षेत्र भविष्यत् तीर्थंकर स्तोत्र गीता छंद वर पूर्वधातकी द्वीप में, है क्षेत्र ऐरावत कहा। उसमें भविष्यत् तीर्थकर, चौबीस होंगे दुखदहा।। मैं नित्य उनको भक्ति से, शत-शत यहाँ प्रणमन करूँ। सम्यक्त्व क्षायिक प्राप्त हेतू, नाथ पद वंदन करूँ।।१।। दोहा धर्मामृतमय वचन की, वर्षा से भरपूर। भविजन कलिमल धोवते, करो हमें सुखपूर।।२।।…