कर्मव्यवस्था पर टिका है जैन सिद्धान्त
संसार और मोक्ष की समस्त व्यवस्था कर्म के आधीन है। जिस सृष्टि की रचना में लोक परम्परानुसार ब्रह्माजी को कर्त्ता रूप में माना जाता है, जैन सिद्धान्त के अनुसार वह ब्रह्मा और कोई नहीं, कर्म ही है। आचार्य श्री नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती ने कहा भी है— देहोदयेण सहिओ जीवो आहरदि कम्म णोकम्मं। पडिसमयं सव्वंगं तत्तायसिंपडओव्व जलं।।…