पंचामृत अभिषेक के अनेक प्रमाण
“…पंचामृत अभिषेक के अनेक प्रमाण…” प्राकृत भावसंग्रह में श्री देवसेन सूरि ने कहा है- अंगे णासं किच्चा, इंदो हं कप्पिऊण णियकाए। कंकण-सेहर-मुद्दी, कुणओ जण्णोपवीयं च।।४३६।। पीढं मेरुं कप्पिय, तस्सोवरि ठाविऊण जिणपडिमा। पच्चक्खं अरहंतं, चित्ते भावेउ भावेण।।४३७।। कलसचउक्कं ठाविय, चउसु वि कोणेसु णीरपरिपुण्णं। घयदुद्धदहियभरियं, णवसयदलछण्णमुहकमलं।।४३८।। आवाहिऊण देवे, सुरवइ-सिहि-काल-णेरिए-वरुणे। पवणे जखे ससूली, सपियसवाहणे ससत्थे य।।४३९।। दाऊण पुज्जदव्वं,…