प्रशस्ति
प्रशस्ति श्रीवीरप्रभू के सन्निध में, जिनने स्वधर्म को प्राप्त किया। ऐसे श्रीगौतम गणधर को, प्रणमूं जिनने श्रुतज्ञान दिया।। इस वीर प्रभू के शासन में, श्रीगौतम आदि गणेश हुये। श्रीकुंदकुंद आचार्यदेव, इस युग में श्रेष्ठ मुनीश हुये।।१।। इस कुंदकुंद आम्नाय में शारद, गच्छ बलात्कारगण उत्तम। चारित्र चक्रवर्ती गुरुवर, श्री शांतिसागराचार्य प्रथम।। श्रीवीरसागराचार्यवर्य, इनके ही पट्टाधीश मान्य।…