तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ की आरती
तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ की आरती तर्ज—चाँद मेरे आ जा रे……. आरती सुमति जिनेश्वर की, सुमति प्रदाता, मुक्ति विधाता, त्रैलोक्य ईश्वर की।।टेक.।। इक्ष्वाकुवंश के भास्कर, हे स्वर्णप्रभा के धारी। सुर, नर, मुनिगण ने मिलकर, तव महिमा सदा उचारी।। आरती….।।१।। साकेतपुरी में जन्मे, माता सुमंगला हरषीं। जनता आल्हादिक मन हो, आकर तुम वन्दन करती।।आरती…।।२।। श्रावण शुक्ला दुतिया…