04.शनिग्रहारिष्ट निवारक श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्र पूजा
शनिग्रहारिष्ट निवारक श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्र पूजा -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती स्थापना-गीता छंद मुनिसुव्रतेश जिनेन्द्र की, हम सब करें आराधना।…
शनिग्रहारिष्ट निवारक श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्र पूजा -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती स्थापना-गीता छंद मुनिसुव्रतेश जिनेन्द्र की, हम सब करें आराधना।…
भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ की आरती -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज—आरति करूँ चौबीस जिनेश्वर……. आरति करूँ मुनिसुव्रत जिन की, आरति करूँ…
श्री मुनिसुव्रतनाथ विधान वंदना महाव्रतधरो धीर:, सुव्रतो मुनिसुव्रत:। नमस्तुभ्यं प्रदद्यान्मे, रत्नत्रयपूर्णताम्।।१।। -शंभु छंद- मुनिसुव्रत! सुव्रत के दाता, भव हर्ता मुक्ति विधाता हो। मैं नमूँ तुम्हें मेरे स्वामी, मुझको भी सिद्धि प्रदाता हो।। वह राजगृही नगरी धन है, त्रैलोक्य गुरू जहाँ थे जन्में। हैं धन्य सुमित्र पिता माता, सोमा भी धन्य हुईं जग में।।१।। श्रावण वदि…
नवदेवता पूजन -गीता छन्द- अरिहंत सिद्धाचार्य पाठक, साधु त्रिभुवन वंद्य हैं। जिनधर्म जिनआगम जिनेश्वर, मूर्ति जिनगृह वंद्य हैं।। नव देवता ये मान्य जग में, हम सदा अर्चा करें। आह्वान कर थापें यहां मन में अतुल श्रद्धा धरें।। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधु जिनधर्मजिनागमजिन- चैत्यचैत्यालय-समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं…
पुण्यास्रव विधान-पूजा -अथ स्थापना (शंभु छंद)- अर्हंत जिनेश्वर सांपरायिक, आस्रव से रहित पूर्ण ज्ञानी। ये पुण्य के फल हैं पुण्यराशि, पुण्यास्रव के कारण ज्ञानी।। हम इनका आह्वानन करके, भक्ती से अर्चा करते हैं। इनकी पूजन से पापास्रव, नहिं हो यह वांछा करते हैं।।१।। ॐ ह्रीं सर्वास्रवविरहित-श्री अर्हत्परमेष्ठिन्! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं सर्वास्रवविरहित-श्री…
पुण्यास्रव विधान वंदना -स्रग्विणी- सिद्ध की वंदना सर्व आस्रव हरे। वंद्य अर्हंत को पुण्य आस्रव भरें।। सूरि पाठक सभी साधु को वंदते। पाप आस्रव टरें दु:ख को खंडते।।१।। मैं नमूँ मैं नमूँ पंच परमेष्ठि को। रोक शोकादि मेरे सबे दूर हों।। शुद्ध सम्यक्त्व हो ज्ञान ज्योती जगे।। शुद्ध चारित्र हो कर्मशत्रू भगें।।२।। जो जजें नाथ…
नवदेवता पूजन -गणिनी आर्यिका ज्ञानमती -गीता छन्द- अरिहंत सिद्धाचार्य पाठक, साधु त्रिभुवन वंद्य हैं। जिनधर्म जिनआगम जिनेश्वर, मूर्ति जिनगृह वंद्य हैं।। नव देवता ये मान्य जग में, हम सदा अर्चा करें। आह्वान कर थापें यहाँ, मन में अतुल श्रद्धा धरें।। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधु जिनधर्मजिनागमजिनचैत्यचैत्यालय- समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
बड़ी जयमाला -दोहा- श्रीबाहूबलि! आपको, नमूँ-नमूँ शत बार। तव प्रतिमा चिन्तामणी, चिंतित फल दातार।।१।। भरतराज ने पोदनपुर में, बाहुबली की मूर्ति महा। भक्ति भाव से की स्थापित, पंचशतक धनु तुंग महा।। सुर-नर-मुनिजन प्रतिदिन पूजें, भक्तिभाव से दर्श करें। महामहिम जिनबिंब दर्श से, जन्म-जन्म के पाप हरें।।२।। कर्नाटक में श्रवणबेलगुल, अतिशय क्षेत्र प्रसिद्ध महा। भद्रबाहु श्रुतकेवलि…
श्री बाहुबली पूजा -स्थापना-शंभु छंद- वृषभेश्वर के सुत बाहुबली, प्रभु कामदेव तनु सुन्दर हैं। मुनिगण भी ध्यान करें रुचि से, नित जजते चरण पुरंदर हैं।। निज आतमरस के आस्वादी, जिनका नित वंदन करते हैं। उन प्रभु का हम आह्वानन कर, भक्ती से अर्चन करते हैं।।१।। ॐ ह्रीं श्रीबाहुबलीस्वामिन्! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं…
भगवान बाहुबली विधान (श्री बाहुबली वंदना) -दोहा- जय जय बाहूबलि प्रभो! श्री जिनवर जिनसूर्य। नमूँ अनन्तों बार मैं, भव्यकमलिनी सूर्य।।१।। -चौबोल छंद- बाहुबली कैलाशगिरी पर, जाकर जिनदीक्षा लेकर। एक वर्ष का महायोग ले, खड़े हुए निश्चल होकर।। काम चक्रेश्वर कामभोग तज, कामदेव मद हरते हैं। योग चक्रमय ध्यानलीन हो, योग चक्रेश्वर बनते हैं।।२।। भक्तिभाव से…