अकृत्रिम वृक्ष जिनालय पूजा
अकृत्रिम वृक्ष जिनालय पूजा —शंभु छंद— पाँचों मेरू के उत्तर में, उत्तरकुरु में तरु पांच कहे। ये जंबू धात्री पुष्कर हैं, इनमें शाश्वत जिनसद्म कहे।। दक्षिण में पाँच देवकुरु में, शाल्मलि तरु पाँच कहे शाश्वत। इन दश वृक्षों के जिनमंदिर, जिनप्रतिमायें पूजूं नितप्रति।।१।। ॐ ह्रीं सार्धद्वयद्वीपस्थ—उत्तरकुरुदेवकुरुस्थितजंबूवृक्षादिदशवृक्षजिनालय—जिनिंबबतत्परिवारवृक्षजिनालयजिनिंबबसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं सार्धद्वयद्वीपस्थ—उत्तरकुरुदेवकुरुस्थितजंबूवृक्षादिदशवृक्षजिनालय—जिनिंबबतत्परिवारवृक्षजिनालयजिनिंबबसमूह! अत्र…