वैदिक ग्रंथों में अयोध्या
वैदिक ग्रंथों में अयोध्या…… अथर्ववेद में कहा है- ‘‘अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या। तस्यां हिरण्यमयकोष: स्वर्गज्योतिषावृत:।। यह अयोध्या देवताओं की नगरी है, यह आठ चक्र और नवद्वारों से शोभित है। इसका स्वर्ग के समान हिरण्यमय कोष दिव्य ज्योति से आवृत-व्याप्त है। रुद्रयामल ग्रंथ के अनुसार यदि अवन्तिकापुरी विष्णु भगवान का चरण है, कांची कटिभाग है, द्वारिका…