20. भगवान श्री अरहनाथ जिनपूजा
भगवान श्री अरहनाथ जिनपूजा -दोहा- तीर्थंकर अरनाथ! तुम, चक्ररत्न के ईश। ध्यान चक्र से मृत्यु को, मारा त्रिभुवन ईश।।१।। आह्वानन विधि से यहाँ, मैं पूजूँ धर प्रीत। रोग शोक दु:ख नाशकर, लहूँ स्वात्म नवनीत।।२।। ॐ ह्रीं श्रीअरनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीअरनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…