11. उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पूजा
(पूजा नं.-11) उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पूजा तर्ज-सोनागिरि में सोना……………. ब्रह्मचर्य की महिमा जग में न्यारी है। इसकी पूजन करते सब नर नारी हैं।। उत्तम ब्रह्मचर्य को मुनिजन धारते, श्रावक शीलव्रती…
(पूजा नं.-11) उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पूजा तर्ज-सोनागिरि में सोना……………. ब्रह्मचर्य की महिमा जग में न्यारी है। इसकी पूजन करते सब नर नारी हैं।। उत्तम ब्रह्मचर्य को मुनिजन धारते, श्रावक शीलव्रती…
(पूजा नं.-10) उत्तम आकिञ्चन्य धर्म पूजा तर्ज-पंखिड़ा तू उड़ के जाना……….. अर्चना करूँ मैं आकिञ्चन्य धर्म की। वंदना करूँ मैं आकिञ्चन्य धर्म की।। अर्चना…………….अर्चना…….।।टेक.।। बाह्य-अंतरंग परिग्रह का त्याग इसमें हो। साधु अरु गृहस्थ दोनों पाल…
(पूजा नं.-9) उत्तम त्याग धर्म पूजा तर्ज-जरा सामने तो आओ……… करूँ त्याग धर्म की अर्चना, इसकी महिमा बड़ी ही महान है। मुनि-श्रावक सभी इसे पालकर,…
(पूजा नं.-8) उत्तम तप धर्म पूजा तर्ज-ए री छोरी बांगड़ वाली………….. उत्तम तपो धर्म की पूजा, भव्यों को सुखकारी है-२।।टेक.।। अंतरंग बहिरंग तपों से युक्त मुनीजन रहते हैं-२। श्रावक…
(पूजा नं.-7) उत्तम संयम धर्म पूजा -स्थापना- तर्ज-सन्त साधू बनके……… मिल गया मानव जनम, भव भव के पुण्य प्रताप से। पाऊँ अब संयम रतन, फिर छूट जाऊँ पाप से।। प्राणि…
(पूजा नं.-6) उत्तम शौच धर्म पूजा तर्ज-कभी राम बनके……….. पूजा पाठ करने, मंत्र जाप करने, चले आए-मंदिर में चले आए।।टेक.।। दश धर्मों में शौच…
(पूजा नं.-5) उत्तम सत्य धर्म पूजा -स्थापना (स्रग्विणी छंद)- मुक्तिपथ में सदा सत्य की जीत है। साधुगण गाते सब सत्य के गीत हैं।। स्वात्महित हेतु है सत्य की अर्चना। मैं करूँ स्थापना धर्म की वंदना।। ॐ ह्रीं उत्तम सत्य धर्म! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं उत्तम…
(पूजा नं.-4) उत्तम आर्जव धर्म पूजा -अथ स्थापना (अडिल्ल छंद)- उत्तम आर्जव धर्म सकल सुखकार है। ऋजु भावों से मिलता पुण्य अपार है।। मन में उसको धारण कर अर्चन करूँ। आह्वानन स्थापन कर वंदन करूँ।। ॐ ह्रीं उत्तम आर्जव धर्म! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं उत्तम…
(पूजा नं.-3) उत्तम मार्दव धर्म पूजा -स्थापना (अडिल्ल छंद)- उत्तम मार्दव धर्म विनय गुण पूर्ण है। मान कषाय को करता वह निर्मूल है।। इसकी पूजन करूँ विनय चित लायके। जिनवर ढिग स्थापन कर लूँ आयके।।१।। ॐ ह्रीं उत्तममार्दवधर्म! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं उत्तममार्दवधर्म! अत्र तिष्ठ…
(पूजा नं.-2) उत्तम क्षमाधर्म पूजा -स्थापना- तर्ज-रोम-रोम से………….. जनम जनम में पाऊँ, जिनवर दर्श तुम्हारा। हाँ दर्श तुम्हारा…….. …