01. दशलक्षण समुच्चय पूजा
(पूजा नं.-1) समुच्चय पूजा -दोहा- पर्व अनादि अनंत है, दशलक्षणमय धर्म। होता भव का अंत है, करें यदी शुभकर्म।।१।। धर्म नाम से हैं क्षमा, मार्दव आर्जव भाव। शौच सत्य संयम तथा, तप अरु त्याग स्वभाव।।२।। आकिंचन्य व ब्रह्मचर्य, हैं धर्मों के सार। इनकी पूजन से करूँ, मुक्तिपंथ साकार।।३।। ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्मसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट्…