आचार्य परमेष्ठी पूजा
आचार्य परमेष्ठी पूजा -स्थापना-गीता छंद- जो स्वयं पंचाचार पालें, अन्य से पलवावते। छत्तीस गुण धारें सदा, निज आत्मा को ध्यावते।। ऐसे परम आचार्यवर, भवसिंधु से भवि तारते। इस हेतु उनकी अर्चना, हितु हम हृदय में धारते।।१।। ॐ ह्रीं णमो आयरियाणं आचार्यपरमेष्ठिसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्नाननं। ॐ ह्रीं णमो आयरियाणं आचार्यपरमेष्ठिसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ:…